राजीव भमराल की कलम से

rajeev bhamral 2p

वैसे तो हर जीव निर्जीव में परमात्मा का अंश होता है लेकिन जो तरंगे आपके अंदर स्पंदन करती हैं वैसे माहौल में यदि परमात्मा आपको ले जाये तो खुद को खुशकिस्मत समझना चाहिए। ज़नाब राजीव भमराल “तारा भा जी” से मेरी पहली मुलाकात सन 1999 में नगरोटा कैंट वाले रास्ते पर हुई थी जब मैं पैदल पैदल पहली बार जम्मू से कटरा की ओर चला था। एक दम अनजान शख्सियत से मुलाकात और फिर रात को मैं इनके पड़ाव के साथ नंदिनी एलिफैंट सेंचुरी में सड़क किनारे एक दुकान में रुक गया। तीन दिन के सफर में मैंने इनके अंदर …

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