मनुस्मृति दहन दिवस की ऐतिहासिक प्रासंगिकता
25 दिसम्बर को मनुसमृति दहन दिवस भी देश में आजकल मनाया जाने लगा है और सोशल मीडिया के प्रचलन के साथ साथ यह भी कुछ लोगों के लिए पर्व के रूप में अब देखा जाने लगा है। मैं अठ्ठाईस तीस साल का हो गया था मैंने कभी मनुस्मृति का नाम तक नहीं सुना था जब कानून की पढ़ाई शुरू की तो जस्टिस मार्कंडेय काटजू का लिखा पेपर ANCIENT INDIAN JURISPRUDENCE पढ़ा तो श्रुति और स्मृति का कांसेप्ट पल्ले पड़ा और अनेक समृतियों याग्य्वाल्लाक्य समृति , विष्णु समृति , नारद समृति , पराशर समृति, अपस्ताम्भा समृति , वशिष्ठ समृति गौतम समृति …