चाय का विकल्प
चाय एक ऐसा कलंक है जिससे सभी जान तो छुड़वाना चाहते हैं लेकिन जीवन भर कोशिशे चलती रहती हैं दफ्तरी काम में चाहो ना चाहों छाती फूंकनी ही पडती है खैर दो जनवरी को मेरी मुलकात श्री राजेन्द्र जैन जी से उनके कार्यालय में हुई और बैठते ही मैंने चाय और चीनी ना पीने का निवेदन कर दिया उन्होंने हँसते हुए कहा कोई बात नहीं कमल जीत जी आपको चाय नहीं पिलायेंगे और उन्होंने तुरंत अपने मातहत को आवाज दी कि सबके लिए आँवला पेय बनाकर लाओ और खंड मिट्ठा कुछ नहीं डालना है बस काली मिर्च दिखा लाना जरी …