
माईकल 15 साल का एक लड़का जो साउथ फ्रांस में पैदा हुआ पैदा हुआ और अपने स्वभाव से वेजिटेरियन था उसका यह गुण उसके लिए कितनी बड़ी मुसीबत बन जाएगा उसने कभी सोचा भी नहीं था एक दिन जब वह खेत में काम कर रहा था और लंच के लिए खेत में ही बने टेंट में पहुंचा तो उसने देखा की उसके पिताजी ने मांसाहार तैयार करके रखा हुआ है और जब उसने मना कर दिया तो उसके पिताजी ने उसे धक्का देते हुए कहा जाओ तुम्हें भोजन नहीं मिलेगा और जाकर खेत में काम करो।
माईकल को कुछ दिनों के बाद यह पता चला की दुनिया में एक देश है जिसका नाम भारत है और वह जगह वेजिटेरियन लोगों के लिए स्वर्ग है माईकल ने भारत को ढूंढने की तैयारी कर ली और एक दिन ऐसा आया कि वह सड़क मार्ग से भारत की ओर चल पड़ा मार्ग में अनेक दुश्वारियां भी मिली जिसमें से एक को याद करते हुए माईकल बताते हैं कि काबुल में उनका पर्स चोरी हो गया और अपना जीवन यापन करने के लिए उन्हें दो बार खून बेचना पड़ा खैर किसी तरह से पैसों की व्यवस्था हुई और बड़ी जद्दोजेहद के बाद माईकल भारत पहुंचे
भारत आकर उन्होंने पहले पूरे देश का चक्कर लगाया और जाने से पहले यह तय कर लिया की वह इसी भूमि पर अपना जीवन व्यतीत करेंगे और एक खास बात ने उन्हें अपनी ओर आकर्षित किया वह ही वह थी सिख पंथ माईकल को सिख धर्म में आस्था हो गई और उन्होंने इसके बारे में पढ़ना शुरू किया फिर अपने बाल बढ़ाए और पगड़ी बांधने लग गए उनकी किस्मत फिर खराब थी कि वह फ्रांस के बाशिंदे थे थे दुनिया में फ्रांस एक ऐसा मुल्क है जो धार्मिक पहचान के चिन्हों को कोई मान्यता नहीं देता है इन्हें अनेक बार सामाजिक और सरकारी विरोध का सामना करना पड़ा।फिर एक वकील की सलाह से उन्होंने ब्रिटिश नागरिकता लेने का मन बनाया क्योंकि ब्रिटेन के कानून में इन सब मानवीय प्रयोगों के लिए जगह की थी
माईकल लंदन के साउथ हॉल इलाके में रहने लगे यह दौर वह दौर था जब पंजाब में आतंकवाद चरम सीमा पर इसी बीच माइकल भारत आए और अमृत ग्रहण करके साबुत सिख स्वरुप में आ गए फिर उन्होंने मन बनाया कि भारत में कोई जगह देखी जाए जहां वह रह सके एक दिन उन्हें पंजाब के रोपड जिले में आनंदपुर साहिब के नजदीक एक जगह मिल गई जहां उन्होंने खेती करने का मन बनाया माइकल अब सरदार दर्शन सिंह हो चुके थे और रेतीली जमीन पर मेहनत कर रहे थे धीरे-धीरे स्थानीय लोगों ने इन्हें गोरा बाबा कहना शुरू किया और इनकी मेहनत और लगन देखकर इनके प्रति एक श्रद्धा का भाव उत्पन्न हो गया सरदार दर्शन सिंह ने जैविक खेती करने का मन बनाया और आज नतीजा यह है कि उनका जैविक फार्म बहुत बड़े बड़ी कामयाबी की ओर बढ़ चुका है।
सरदार सरदार दर्शन सिंह पंजाब में एक जाना माना नाम है और स्थानीय युवाओं में उनको लेकर बहुत क्रेज है खेती बाड़ी में क्या नया किया जा सकता है इसको लेकर सरदार दर्शन सिंह हमेशा जागरुक रहते हैं और कहां क्या नया आविष्कार हुआ है और किसानों को उस से क्या लाभ मिल सकता है इसके लिए यदि कहीं पर जाना भी पड़े तो सरदार जी 1 मिनट भी नहीं लगाते पंजाबी भाषा में सरदार जी सिद्धहस्त हो चुके हैं और गुरुवाणी के अनेकों प्रसंग उन्हें याद है अभी थोड़े दिन पहले की बात है जब स्थानीय युवाओं ने मिलकर एक किसान कंपनी बनाने का मन बनाया और जब उसका नाम रखने की बारी आई तो उन्होंने सरदार दर्शन सिंह जी को कंसल्ट किया तो सरदार जी ने उन्हें सुहावी किसान उत्पादक कंपनी रखने का सुझाव दिया सहावी का अर्थ होता है जो सब और से सुंदर होता है

सरदार दर्शन सिंह जी के फार्म के नजदीक एक गांव है कांगड़ जहां युवा किसान नरेश कुमार रहते हैं और इन्हीं के युवा साथियों के समूह ने मिलकर उक्त किसान कंपनी का गठन किया है। भाई नरेश कुमार बताते हैं कि सरदार दर्शन सिंह अपने जीवन में एक मुकाम हासिल कर चुके हैं इनका छोटा सा परिवार है इन्होंने एक भारतीय महिला से विवाह किया है और चंडीगढ़ में एक घर भी बनाया है सरदार दर्शन सिंह पिछले अनेक वर्षों से अपने जैविक उत्पादों का विक्रय स्वयं करते आए हैं चंडीगढ़ में लगने वाली ऑर्गेनिक किसान मंडी में सरदार दर्शन सिंह एक जाना माना नाम है अपने फार्म पर छोटी सी प्रोसेसिंग यूनिट जिसमें जैविक करने से गन्ने से गुड बनाया जाता है , अन्य फार्म उत्पादों को तय किया जाता है स्थापित किया है
कल जब मैं सरदार दर्शन सिंह जी का फार्म उनके साथ घूम रहा था तो उन्होंने बताया कि पिछले 20 वर्षों से उन्होंने कभी कोई रसायन इस भूमि पर नहीं डाला है जिसके कारण जगह जगह पर केंचुए दिखाई दे रहे थे पूरा फार्म इस तरह से डिजाइन किया गया है कि सारा वर्ष कुछ ना कुछ इन्हें मिलता ही रहता है जिससे विक्रय कर के सरदार जी अपना जीवन यापन बड़े आराम से चला सकते हैं।कल एक अभिनव प्रयोग भी मैंने देखा उन्होंने अपने फार्म पर एक छोटी सी जगह को टापू में बदल दिया है और उसका नाम रखा है छोटा श्रीलंका
दरअसल इन्हें सर्दियों में अपनी खेती को पाले से बचाना था इस टापू के निर्माण से एक तो इन्हें मेडिटेशन के लिए एक एकांत मिल गया और दूसरे पाले से इनकी फसलों की रक्षा भी हो गई सरदार दर्शन सिंह ब्रिटिश नागरिकता पर भारत में शाकाहारी जीवन का आनंद ले रहे हैं और देश समाज के निर्माण में बेहतर कंट्रीब्यूट कर रहे हैं आमतौर पर मीडिया की सुर्ख़ियों से दूर रहने वाले सरदार दर्शन सिंह जी कल बहुत सहजता से पेश आए क्योंकि अनेक बार ऐसा हुआ है कि मीडिया ने उनकी बातों को तोड़ मरोड़ कर अपने इंटरेस्ट के मुताबिक छाप लिया है ।
मैं आज से कोई 18 साल पहले स्कूटर पर इस इलाके में खोज करने आया था तब सरदार दर्शन जी के घर पर 2 दिन रुका था तब सरदार जी भी इस इलाके में नए थे आज 18 वर्षों के बाद जब मैं फिर से यहां आया हूं और सरदार जी का प्रभाव महसूस किया है तो यह लगता है कि मातृभूमि का असल पुत्र भी वैचारिक पुत्र के आगे छोटा है आज सरदार दर्शन सिंह पंजाबी और हिंदी खूब अच्छे से समझते हैं पंजाबी फ्री फ्लो में बोलते हैं यह सब करते और देखते बहुत अचरज होता है और प्रेरणा भी मिलती है जो जो आगे समय बीतेगा किसान कंपनी अपना प्रभाव दिखाएगी ऐसे में सरदार दर्शन सिंह जी का मार्गदर्शन बहुत अधिक काम आएगा।