किचेन से क्रान्ति करने वाली हंसालिम कंज्यूमर कोआपरेटिव की कहानी

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हमारे देश में औद्योगिक नीतियों के चलते जो उथलपुल हुई है उसमें से एक है देश की खेती किसानी का जहरीली होकर अस्थिर हो जाना जिसकी वजह से कृषि और पशुधन जो हमारा बेस था वो अब तेजी से उखाड़ने लगा है और किसानों और देश के उपभोक्ताओं के बीच में औद्योगिक प्लांट में बने फ़ूड ने अब पांव पसारने शुरू कर दिए हैं।

साल 1997 से 2000 के बीच में जब मैं हरियाणा कृषि विश्वविधालय में फ़ूड टेक्नोलॉजी का छात्र था और इस विषय को पढ़ रहा था तभी मेरे मन में खुड़का हो गया था कि यह आधुनिक औद्योगिक फ़ूड प्रोडक्शन सिस्टम हमारे पारम्परिक घर के बने हुए खाने की कभी भी बराबरी नहीं कर सकता है उस वक़्त हमारे देश में PFA प्रिवेंशन ऑफ़ फ़ूड अडल्ट्रेशन एक्ट हुआ करता था जो मिलावट नहीं करने दिया करता था हमने अपनी पढ़ाई के दौरान इस एक्ट को भी स्वेच्छा से पढ़ा था और मेरी इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग फ़ूड रिसर्च एनालिसिस सेण्टर दिल्ली में हुई जहाँ मुझे इस एक्ट और इसके समकक्ष अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के स्टैंडर्ड्स को देखने पढ़ने का अवसर मिला।

मैं तो अपनी डिग्री पूरी करते करते आर्गेनिक फार्मिंग की और मुड़ गया और एक एक्सपोर्ट हॉउस में काम करने लगा जहाँ से सर्टिफाइड आर्गेनिक फ़ूड जर्मनी और अमरीका में एक्सपोर्ट किया जाता था बस यहाँ से मेरा परिचय उस दौर के आर्गेनिक फार्मर्स से हुआ और मैंने कृषि के गुर तौर तरीके जैविक किसानों से सीखे मुझे जहरीली कृषि का कोई आईडिया नहीं था क्यूंकि मैंने यह पढ़ाई कभी पढ़ी ही नहीं थी मैं तो बॉटनी जूलोजी और केमिस्ट्री पढ़कर कृषि विश्वविधालय में एम्ए स सी करने पहुंचा था।

मैंने अपनी इच्छा से कभी भी मेन स्ट्रीम फ़ूड इंडस्ट्री में काम नहीं किया लेकिन हालातों पर मेरी नज़र बराबर बानी रही मैंने अपने सामने PFA प्रिवेंशन ऑफ़ फ़ूड अडल्ट्रेशन एक्ट को उखड़ते हुए देखा और उसकी जगह एक हल्के स्टैंडर्ड्स वाले नए एक्ट को जगह लेते हुए देखा और फिर कैसे हमारे घरों से पारम्परिक फूड्स खिसकते गए और पाम आयल ने हमारे घरों में परोक्ष रूप से पैठ कर ली।

बी टी कॉटन के बिनौले का तेल आज हरेक हलवाई इस्तेमाल कर रहा है , वेजिटेबल ऑयल्स के नाम पर नई कथा कहानी शुरू हो चुकी जिसके लिए हमारे शरीर तैयार नहीं हैं।

किचन में से हमारी पकड़ ढीली हो चुकी है और हम रंगबिरंगे चमकीले पैकट्स के रूप में मौत का सामान खुद अपने पैसों और अपने हाथों से ला कर अपने और बच्चों के मुहं में डाल रहे हैं।

यह मसला बहुत लंबा है इसपर आगे कई दिनों बातें होती रहेंगी आज मैंने आपको दक्षिण कोरिया की एक केस स्टडी बतानी है जहाँ कैसे कोरिया वासियों ने अपनी किचन की क्रान्ति से अपने देश के किसानों को बचाया हुआ है और अपने नागरिकों के स्वास्थय को सुरक्षित रखा हुआ है

साल 2017 में मुझे IFOAM Academy की फ़ेलोशिप मिली और मैं आर्गेनिक फार्मिंग की मास्टर क्लास करने दक्षिण कोरिया गया और मुझे वहां अपने कोर्स के दौरान हंसालिम कोआपरेटिव के दफ्तर में ले जाया गया जहाँ से मुझे एक नई रौशनी दिखाई दी उसकी कुछ सीखें मैं आपसे शेयर कर रहा हूँ

Hansalim is a compound word of Han and Salim and means “saving all living things”

सन 1950 के आसपास कोरिया में जबरदस्त जूत बजा और देश के दो टुकड़े हो गए खामखा।

रोटियों के भयंकर लाले पड़ गये थे। उस समय की सरकार ने देश को फैक्ट्री बनाने की राह पर डाल दिया।

इस तरह टाइम पास करते करते 1980 आ गया और तब तक कोरियाई एग्रीकल्चर मॉडल का बाजा बजने लगा था उस वक़्त की सरकारों की ज्यादा टैक्स इक्क्ठा करने की नीतियों के चक्कर में बनी मुक्त व्यापार नीतियां , शहरीकरण और औद्योगिक कृषि मॉडल के कारण इधर किसानों का दिवाला निकलना शुरू हुआ और उधर जनता को उनका पारम्परिक भोजन मिलना दुर्लभ होने लग गया।

उस वक़्त कोरिया में एक व्यक्ति था जिसका नाम था PARK JAE II जिसके मन से आवाज आयी ऐ ना चालबे ऐ ना चालबे और उसने कुछ करने की ठान ली और उसने 1986 तक आते आते एक दूकान खोल ली जिसको स्टोर का नाम दिया।

यहाँ से बात चली कि खाली दूकान से काम नहीं चलेगा और उपभोक्ताओं को साथ के लेकर आना पड़ेगा। बस यहीं से हंसालिम को ऑपरेटिव सही दिशा पकड़ गया। वो सही दिशा थी किसानों को उपभोक्ताओं के द्वारा उनके उत्पादों का सही मूल्य प्रदान करना। मोटी बात बता देता हूँ 100 रुपये के सामान में से 76 रुपये सीधे किसान के खाते में जाते हैं और बाकि 24 रुपये डिस्ट्रीब्यूशन और सेल्स और मार्केटिंग में खर्च होते हैं। कीमतों का निर्धारण किसानो और उपभोक्ताओं की कमेटियां मिल कर करती हैं।

साल 2017 में मैं हंसालिम के ऑफिस में गया था , हमारा इंदिरा गांधी हवाई अड्डा भी फेल है इनकी साफ़ सफाई और व्यवस्थाओं के आगे

सन 2016 की एनुअल रिपोर्ट को पढ़ कर पता चलता है कि कोरिया के पांच लाख चालीस हज़ार लोग इस को – ऑपरेटिव के उपभोक्ता सदस्य हैं। जो की पूरे कोरिया की जनसंख्या के 2.5 % हैं

हंसालिम को ऑपरेटिव आज के समय में 100 आर्गेनिक अनाज , फल सब्जी और दूध का उत्पादन करता है।

सर्टिफिकेशन की भड़क इन्होने नहीं पाली है। उपभोक्ता और किसान मिल कर पूरे उत्पादन प्रोग्राम पर नज़र रखते हैं और शान्ति से अपना काम चला लेते हैं। सभी उपभोक्ताओं की बारी बारी से ड्यूटी लगती है जो इन्सपेक्शंन जैसे कार्यों को पूरा करके आते हैं जिसका उन्हें मानदेय भी मिलता है।

किसान सदस्यों को बड़ी इज्ज़त के भाव से देखा जाता है और उनके मुनाफे की चिंता उपभोक्ता सदस्य करते हैं। एक भी टुकड़ा खाने का भी बर्बाद नहीं किया जाता है। कुल किसान परिवार जो किसान सदस्य हैं वो 2159 हैं। पिछले वर्ष हंसालिम ने 400 मिलियन अमरीकी डालर का व्यापार किया (रुपयों में बदल कर मुझे भी बता दियो कोई भाई मेरी गुणा भाग कमजोर है )

हंसालिम ने अपना सामान डिस्ट्रीब्यूट करने के लिए 254 आउटलेट खोले हुए हैं ।

इनमें हर कोई जणा खणा ऐसे ही मुहं चक के नहीं बड सकता है , क्यूंकि सिर्फ सदस्य को आने की इजाजत है खाली पैसे देकर कोई सदस्य नहीं बन सकता | पहले इच्छुक जीव को आकर ट्रेनिंग लेनी पड़ती है और जब यह बात कन्फर्म हो जाती है कि जीव के दिमाग में सही बात घुस जाती है और उसका नज़रिया ठीक हो गया फिर उसको बोला जाता है वेलकम टू हन्सालिम। ठीक ऐसी ही एक प्रक्रिया किसानों को सदस्य बनाने की भी है।

जो पहली बार सदस्य बनता है उसको 30000 कोरियन वान का सामान खरीदना पड़ता है (बहुत छोटी राशि है ) , इसी में से उसको कुछ शेयर दे दिए जाते हैं जो की रीडीम किये जा सकते हैं कभी भी वो भी बिना किसी लफड़े के

सरकार केवल लाइसेंस और रेगुलेशन और टैक्स लेने का काम करती है , इतने सारे उपभोक्ता जिसमें गवर्नर से लेकर झाडू मारने वाले सभी शामिल है उन्हें पता है कि उनकी सेहत का वजूद हंसालिम की वजह से है।

साथियों मैंने आपको एक उम्मीद की रौशनी दिखा रहा हूँ बस आप इस विषय पर एक गूगल सर्च करके और जानकार निकाल सकते हैं , एक लिंक और आपसे शेयर कर रहा हूँ।

http://orgprints.org/24218/7/24218.pdf

कोरिया के लोग सच में इस दिशा में हमारे से बाजी मार गए हैं लेकिन हम जल नहीं रहे क्यूंकि हम जलते नहीं रीस करते हैं ।


आओ रीस करें।

आप जहाँ भी हैं और इस तरीके का कोई उपभोक्ता कोआपरेटिव खड़ा करना चाहते हैं तो आप मुझे बताएं आपको ट्रेनिंग देने मार्गदर्शन देने का कार्य मैं आपको सेवाभाव से करूंगा।

आगे राम जी भली करेंगे।