
29 जुलाई 2019, ग्राम अन्जन्थली, करनाल, हरियाणा , भारत
आज सुबह चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर 11 बजे युवा लेखक शिव्या जी से अप्पोइंटमेन्ट थी जो गोआ चंडीगढ़ फ्लाइट से आई थी। आने का मकसद किसान संचार द्वारा किसानों को दी जा रही मौसम आधारित सूचनाओं से उपजे प्रभाव का अध्यन करना और फिर एक लेख में लिपिबद्द करना।
खैर सारे काम कूम खत्म करने के बाद मैडम शिव्या जी से उनकी शिक्षा दीक्षा के बारे में बात हुई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने सिंगापुर से पढ़ाई की है। सिंगापुर का नाम सुनकर क्यूरोसिटी के कीड़े ऐड़ी ठा कर खड़े होने निश्चित ही थे। मेरे मन मे दनादन सवाल उभर गए। मैंने पूछा कि वहां जीवन शैली कैसी है। उन्होंने बताया कि सिंगापुर एक छोटा देश है जो बहुत अधिक व्यवस्थित है। वहां व्यवस्था अपने नागरिकों से कहती है कि सोचना आपका काम नहीं है, सोचना हमारा काम है।
अपने ओपिनियन भी बस अपने तक ही रखने होते हैं किसी से शेयर करने और एक्सप्रेस करने की मनाही होती है। सभी लोग एक जैसे हेयर कट ही कटाते हैं, एक जैसे स्टाइल का फैशन ही अपनाते हैं। ऐसा करने के लिए उन्हें स्कूल से ही शिक्षित और प्रेरित किया जाता है। मैं तो सुन कर ही थोड़ा औखा सा महसूस करने लगा क्योंकि हम भी भारत मे अब यह महसूस करने लगे हैं कि सब कुछ व्यवस्थित होने की ओर बढ़ रहा है जहां हमारा काम होगा बस नौकरी करना और टैक्स भरना।
समाज , तीज त्योहार संस्कृति उत्सव मेले जीवटता कोक पेप्सी बिसलेरी नेस्ले पारले इनके बीच मे सिमट जाएगी। मृतक को चार कंधे भी आज की तारीख में नही मिलते क्योंकि अब करमजली वैन आ गयी ही। थोड़े दिनों में कॉरपोरेट सिस्टम यहां भी शुरू हो जाएगा। सोमवार को कोई यदि गुजर गया तो हॉस्पिटल की मोर्चरी में घर वाले जमा करवा देंगे और सन्डे को अंतिम संस्कार होगा और एक ही दिन में जन गण मन अधिनायक होकर अगले दिन सारे घर के ऑफिस में।
फेस बुक में ही RIP लिख कर उसका स्क्रीन शॉट लेकर गूगल ड्राइव में सेव कर लेना ही जरूरी रह जायेगा क्योंकि कदे कोई उल्हाना दे बैठे तो माणस काढ़ के दिखा सके।आज की आखिरी बैठक समोरा गांव में थी इंद्री रोड पर जहां एक युवा उद्यमी जोहड़ में उगने वाली हायसिंथ को खाने वाले एंजाइम लेकर आया हुआ था।
क्यूरोसिटी वाले कीड़े ऐड़ी ठा के फिर खड़े हो गए और मैने सवाल किया कि हायसिंथ से दिक्कत क्या हैतो जवाब आया कि तालाब में जगह घेरता है पानी कम।आता है, क्यूरोसिटी के कीड़ों ने फिर सवाल दागा के तालाब में एक्सट्रा जगह क्यों चाहिए। जवाब आया मछली पालन के लिए अबके कीड़ों ने लठ ठा लिया मेरे भीतर लेकिन मैंने भाव कंट्रोल कर लिए और समस्त बैठे हुए मौजिज लोगों से निवेदन किया कि हायसिंथ जोहड़ में करोड़ों जीवों का घर है।
हमारे जोहड़ गांव की सामाजिक सम्पत्ति थे जोहड़ सबका सांझा हुआ करता था।अब जोहड़ को ठेके पर देकर पंचायत मछली पालन करवाएगी वो जोहड़ समाज की संपत्ति न रह कर ठेकेदार की प्रॉपर्टी बन जायेगा वो किसी को वहां खड़े भी नही होने देगा। समाज जोहड़ को डिसऑन कर देगा नतीजा रौनके खत्म, डिप्रेशन शुरू। हमारे समाज मे पहले डिप्रेशन क्यों नहीं था सोचों? परमात्मा का शुक्र है कि मेरी बात के मर्म और निवेदन को वहां मौजूद मौजिज लोगों ने समझा। ये दौर संक्रमण काल है जिसमे भारत को इंडिया बनने से रोकना या स्पीड तेज करने के दोनों काम हमारे हाथ मे हैं।हमने क्या करना है इसको सोचना पड़ेगा।