महाबली सरदार राजेंद्र सिंघ जी इंदौर के आउट स्कर्ट्स में एक पिंड में रहते हैं और केंद्र सरकार की नौकरी से स्वेच्छा से सेवानिवृति लेकर अब अपने फ़ार्म पर परिवार के साथ रहते हैं।सारा दिन देश भलाई जीव दया और जैविक कृषि और अहिंसक गौपालन पर शोध करते हैं काम करते हैं बातचीत करते हैं और देशभर में अच्छा काम करने वालों का उत्साहवर्धन करते हैं।
आज सुबह मेरे पास सरदार जी का फोन आया और उन्होंने कहा कि भाईचारा ब्राडकास्टिंग लिस्ट एक अच्छा प्रयोग और मैं समस्त भाईचारे को अपने कुछ अनुभव बताना चाहता हूँ। कुछ महीने पहले की बात है कि मैं इंदौर स्टेशन पर गया अपने किसी जानने वाले को चढाने गया तो वहां जाते समय तो एस्कलेटर ठीक ठाक था लेकिन उतरते समय वाला एस्कालेटर खराब था।
मुश्किल से वो उससे उतरे और देखा कि जनता किस कदर दुखी हो रही थी। बात आई गयी हो गयी और एक दो महीने बीत गए और उन्हें फिर किसी को लेने के लिए स्टेशन जाना हुआ और वापिसी में जब उसी एसकालेटर के सामने पहुंचे तो नानी याद आ गयी।
क्यूंकि वो अभी तक खराब था और इस बार सामान भी बहुत ज्यादा था खैर सभी की तरह घिस घिस कर सामान लेकर उतरे और घर पहुंचे।
सरदार जी बताते हैं कि उन्हें गुस्सा इस बात का नहीं था कि एस्कलेटर खराब था उन्हें गुस्सा इस बात का था कि किसी ने अभी तक कोई शिकायत तक नहीं की और महीनों से एस्कलेटर खराब है।
खैर सरदार जी जानते थी कि उन्होंने क्या करना है उन्होंने बस एक वेबसाइट खोली https://pgportal.gov.in/ उसमें इनका अकाउंट पहले से बना हुआ था और इसमें उन्होंने एक कम्प्लेन डाली।
सुबह के दस बजे हुए थे और रात को नौ बजे इनके पास मेसेज आया कि एस्कलेटर का सेंसर खराब था जिसे ठीक कर दिया गया है। सरदार जी ने बताया कि उन्होंने इस एप्लीकेशन की ट्रैकिंग की तो मालूम चला कि प्रधानमन्त्री कार्यालय की एक ब्रांच ने उनकी एप्लीकेशन को रेलवे बोर्ड को फॉरवर्ड किया , उसने रतलाम डिवीज़न को फॉरवर्ड किया वहां से इंदौर स्टेशन के इलेक्ट्रिकल विंग के एसक्ललटोर इंजीनीयर के पास रात आठ बजे शिकायत पहुंची और उसने एक घंटे में खराबी को ठीक करके ऊपर रिपोर्ट भेज दी और सरदार जी के पास नोटिफिकेशन आ गया कि उनका शिकायत का समाधान कर दिया गया है।
सरदार जी ने अपना नेटवर्क ऐक्टिवेट किया और मौका चेक करवाया तो रिपोर्ट मिली की एस्कालेटर एक दम सही से चल रहा था।
सरदार जी बताते हैं वो अभीतक कोई तीस से ज्यादा ऐसी छोटी बड़ी समस्याओं का समाधान करवा चुके हैं सरदार जी बताते हैं कि फुटपाथों पर बहुत सारे पेड़ लगे होते हैं। सड़क बनाने वाले उनकी जड़ों तक सड़क या पेवर ब्लॉक्स लगा देते हैं जिससे पेड़ों का दम घुटता है। क्यूंकि पेड़ की जितनी कैनोपी होती है उसके नीचे का सारा हिस्सा कच्चा होना चाहिए लेकिन इस बात ध्यान नहीं रखता है।
सरदार जी ने अपना समय निकाल कर पहले ऐसे पेड़ों को चिन्हित करना शुरू किया और फिर उनकी डिटेल बना कर इलाके के म्युनिसिपेलिटी के अधिकारी के पास जाकर उसकी चाय पीनी और उसको एप्लीकेशन पूरी डिटेल के साथ दे देनी। सरदार जी बताते हैं उन्होंने अपनी सरल ऍप्लिकेशनों के जरिये हज़ारों पेड़ों को ठीक करवाया है जिसकी उन्हें अत्यंत ख़ुशी है।
सरदार जी की जीवन संगिनी सरदारनी चंचल कौर जी उनके हरेक कार्य में उनका साथ देती हैं और यह सिंघ परिवार अपनी उपस्थिति से अपने आसपास के माहौल को जहर रहित और स्वस्थ सुंदर करने में दिनरात प्रयासरत है। महाबली सरदार राजेंद्र सिंह जी की कार्यकारी रेंज बहुत दूर तक की है भारत का कोई भी कोना हो सरदार जी का आविष्कारी किसानों का नेटवर्क सबजगह काम करता है हरेक अच्छी बात को ढूंढने और फ़ैलाने में इनका पूरा विश्वास है।
आपने मैनेजमेंट फंडा वाले एन रघुरामन जी का अनाम तो आप सभी ने सुना ही होगा जिनका लेख हर रोज दैनिकभास्कर में आता है। सरदार राजेंद्र सिंह जी की रघुरामन जी से बड़ी आत्मीयता है और उनके लेख को डेली हज़ारों लोगों तक सरदार जी बड़े ही सेवा भाव से कोने में अपने नेटवर्क में हज़ारों लोगों को भेजते हैं। इससे बड़ी सकारात्मकता का फैलाव होता है लोगों में समस्या में से समाधान खोजने की आदत बढ़ती है।
सरदार राजेंद्र सिंघ जी का कहना है कि हमारे देश का सिस्टम कागज या ईमेल से हिलता है। हमें हार नहीं माननी चाहिए। हमें अपने आसपास की समस्याओं को नोट करके उन्हे सही जगह पर ऐप्लिकेशन के रूप में भेजना चाहिए और उसका प्रोपर फॉलोअप करना चाहिए।
यदि हम एक फाइल लगा लें और फाइल पर समस्या को डील करना शुरू करें तो रोजमर्रा की समस्याओं की तो चीखें निकल जाती हैं।