एक बार कि बात है भाई रामफल के करडा जुखाम हो गया और घर पे ही कढी काढी सुर्ड़क के ठीक करने की कोशिश की। लेकिन गरम सर्द आली सिचुएशन बन गयी घर से पैसे लेकर रामफल सरकारी हस्पताल में आ लिया और कार्ड बनवा लिया। डाक्टर के बारने बैठ अपनी बारी का इंतज़ार करने लगा। डाक्टर रामफल का पुराना मेल मिलाप का आदमी था।
थोड़ी देर पाछे रामफल का नम्बर आ लिया। रामफल डाक्टर के जाते ही बोल्या डॉ साहब मार गेरे इस गाड़न जोगे जुखाम नै। कोई बढ़िया पेटेंट देसी सा नुस्खा बता दयो जिसते ये सुसरा जुखाम ठीक हो जावे और यह बात बताते बताते रामफल ने छींका का छीका सा तोड़ दिया।
डाक्टर भी पूरा अनुभवी और एक नम्बर कामिल मानस था। रामफल ताहीं समझाते हुए सा बोल्या सुनो भाई रामफल ऐसा करना घर जाना और एक लीटर दूध में सौ ग्राम छुहारे और पचास ग्राम किशमिश डाल के उसे खूब उबाल कर ताता लाल कर लेना। फिर उसमें थोड़ी सी सौंठ, चार चम्मच देसी घी, दस पतासे और मडी सी काली मिर्च गेर के खूब तरड़ा लेना फिरसारा माल सौदा एक परात में उड़ेल के आराम से उकडू बैठ के फूंक मार मार के सुरक सुरक के पीना जुखाम टोहे ते भी कोन्या पावेगा।
रामफल ने हिसाब लगाया के यह सारा सामान कठ्ठे करते करते तो साँझ हो लेगी और तबतक दिमाग पाट लेगा और उसके चेहरे के भाव पढ़ कर डाक्टर समझ गया के सामान ज्यादा बता दिया। रामफल दीखे है रेसिपी का बोझ मान गया इसीलिए रेसिपी छोटी करनी पड़ेगी। डाक्टर साहब ने रामफल से पूछा अच्छा ये बताओ इस सारे सामान में से कौन सी दो चीज ऐसी हैं जिसका इंतजाम तुम ओन दी स्पॉट कर सकते हो।
रामफल बोल्या डाक्टर साहब मेरे धोरे तो बस बस उकडू और फूंक का इंतजाम तुरत हो सके है बाकी रेसिपी का बंदोबस्त तन्ने ही करना पड़ेगा। डाक्टर रामफल की साफगोई और हाज़िर जवाबी पर बहुत हंसा और बोल्या रै कसाई आड़े ही लोट ज्या मैं मंगाऊं हूँ सारा सौदा सपटा और तू बस अपनी उकडू और फूंक तरीके तै पूरा जी ला के खर्च लिए।
शाम को जुखाम खो कै रामफल कूदता होया अपने घर नै वापिस आया।