मानस प्रभाती
डॉ अरविंद मिश्रा चित्रकूट पहुँचने के पहले श्रीराम ने मुनिवर वाल्मीकि से किसी निरापद स्थल के बारे में पूछा जहाँ वे सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास का कुछ समय बिता सकें। मुनि वाल्मीकि उन्हें कुछ स्थलों की जानकारी दी और आप भी उन स्थलों के बारे में जानिए। सबु करि मागहिं एक फलु राम चरन रति होउ।तिन्ह कें मन मंदिर बसहु सिय रघुनंदन दोउ जिनके न तो काम, क्रोध, मद, अभिमान और मोह हैं, न लोभ है, न क्षोभ है, न राग है, न द्वेष है और न कपट, दम्भ और माया ही है- हे रघुराज! आप उनके हृदय …