न्यूजीलैंड में निर्दोष लोगों को दण्डित करने वाला मोहम्मद शमशुद्दीन अहमद आदिल

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mohammad shamsudeen adil 1 edited 1
  • मोहम्मद शमशुद्दीन अहमद आदिल ने बीते रविवार को न्यूज़ीलैंड में छह निर्दोष लोगों को चाकू से हमला करके दण्डित करके घायल कर दिया था। यह दंड निर्दोष लोगों को पिछले लगभग डेढ़ हज़ार सालों से लगातार दिया जा रहा है । इस हमले के बाद न्यूजीलैंड की ख़ुफ़िया पुलिस के कमांडों की गोली से उसकी मौत हो गई और उसकी मौत की घोषणा न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न के द्वारा की गयी।
  • श्रीलंका का रहने वाला आदिल 2011 में स्टूडेंट वीज़ा पर पढ़ाई करने न्यूज़ीलैंड गया था लेकिन, उनकी पहचान चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट के एक समर्थक युवा की बन गई थी। इसी के चलते न्यूज़ीलैंड का पुलिस विभाग आदिल पर 2016 से ही लगातार निगरानी रख रहा था।
  • लेकिन क्या फायदा हुआ ऐसी निगरानी का जब आदिल ने दिन दहाड़े न्यूजीलैंड के एक माल में मात्र 45 सेकंड्स में 6 मासूम लोगों को चाकू घोंप दिया। हालाँकि न्यूजीलैंड ख़ुफ़िया पुलिस के कमांडो की उस पर नज़र थी और आदिल के द्वारा चाकू से हमला शुरू किये जाने के 45 सेकंड्स के अंदर अंदर कमांडो ने आदिल के सर में गोली मार दी और उसका किस्सा खतम कर दिया।
  • लेकिन जैसे ही यह खबर और पूरा घटनाक्रम मीडिया के माध्यम से बाहर निकला तो पूरी दुनिया विशेषकर भारत में न्यूजीलैंड की प्रधानमन्त्री को ही इस दुर्घटना का जिम्मेदार आम जनता ने माना। इस विषय में मैंने अनेक साधारण और प्रबुद्ध लोगों से बातचीत की तो उनका कहना था कि भारत का कानून और नीति एकदम फुद्दू और तुष्टिकरण को बढ़ावा देने वाली है लेकिन न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंड़ा अर्डन को क्या हुआ है जो वो सीधे सीधे जीवित मक्खी को निगलने पर उतरी हुई है।
  • ये इस्लामिक स्टेट वाले अपनी कट्टर सोच को लेकर एकदम क्लीयर हैं पहले इन्होने अपने महजबी टेक्स्ट के हिसाब से हरेक काफिर को बुरी मौत मारना है और फिर बाद में आपस में लड़ लड़ कर मर जाना है। फिलहाल मैं उम्मीद करता हूँ कि उन मासूम 6 लोगों जिन्हें चाकू घोंपा गया है के चेहरे देख कर परम सेक्युलर महिला प्रधानमंत्री की आँखें खुलेंगी और विवेक जागृत होगा और वे अपने मुल्क में सुरक्षा इन्तजामात को और पुख्ता करेंगी और अपनी नीति पर पुनर्विचार करेंगी जिससे न्यूजीलैंड एक रहने लायक सुरक्षित मिल्क बन सकेगा।
  • देश दुनिया में मौजूद सभी धर्म ग्रंथों , शास्त्रों और मजहबी किताबों में जो भी ऐसी बातें लिखी गयी हैं जो आधुनिक दौर में मौजूद कानून और शासन व्यवस्था के उल्ट हैं उन्हें तत्काल प्रभाव से एडिट करके उनके आधिकारिक वर्जन ही सभी जगह उपलब्ध करवाए जाने चाहियें । तभी हमारे देश की साधारण जनता इन किताबों से केवल और केवल अच्छी बातें ही ग्रहण कर सकेगी ।