
बाबा दीपक सचदे जी आज इस भौतिक जगत में नही हैं, लेकिन उनके द्वारा स्थापित काम जगत में बोल रहा है।
बाबा दीपक सचदे के खेतों की मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन कॉन्टेंट 6 से 7 तक है, यह ICAR के कृषि वैज्ञानिकों ने चेक करके बताया था।
प्रकृति में जो मिट्टी निर्माण की प्रक्रिया है जो 400 वर्षों में पूरी होती है उसे बाबा दीपक सचदे ने समझ कर उसे सहज रूप से मात्र तीन महीने में पूर्ण कर लिया गया और नाम दिया गया अमृत मिट्टी निर्माण प्रक्रिया।
सब कुछ ही मिट्टी में हैं यदि मिट्टी मजबूत है तो उसमें फलने फूलने वाला हरेक पौधा मजबूत होगा और बीमारियों से रहित होगा।
बाबा दीपक सचदे द्वारा बताए गए प्रयोगों को हूबहू नाभा पंजाब में सरदार राजपाल माखनी जी ने अपने द्वारा खुद गब्बर मॉड में विकसित आईडिएशन सेंटर में डिस्प्ले करके रखा है।
सरदार राजपाल माखनी कहते हैं कि मिट्टी बना कर बेचना अपने आप मे एक उद्योग बन सकता है और लाखों रोजगार सृजित किये जा सकते हैं।
लोग एक ट्राली मिट्टी देकर जाएंगे और एक ट्रॉली अमृत मिट्टी लेकर जाएंगे और उस एक ट्रॉली मिट्टी को अपने खेत मे फेंकेंगे तो खेत जीवंत हो उठेंगे।
बाबा से यह मुलाकात कुरुक्षेत्र में ब्रह्म सरोवर पर हुई थी और इस मुलाकात के कुछ दिनों बाद ही खबर आ गयी कि रेल यात्रा के दौरान चलती रेल में हृदयघात से बाबा गौलोक गमन कर गए।
बाबा से यह वायदा किया था कि उनके अमृत मिट्टी के किस्से हम किसान संचार के माध्यम से देश के कोने कोने में सुनाएंगे।
किसान संचार अपने यथा सम्भव प्रयासों से देशहित के इस पुनीत कार्य मे अपनी आहुति डाल रहा है।
पीछे फ्रेम में किन्नौर किसान प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक श्री Shyam Negi जी और खुदगब्बर सरदार राजपाल माखनी जी।