माँ बोली
आजकल ऐसा शब्द है जिसको हथियार बना कर देश में जनता को काटने बाँटने का काम कई जगह चल रहा है।
माँ बोली के पैरोकार राज्यों को ऐसा चाहते हैं कि उनमें बस वहीं के लोग आयें बसें और घिसियाँ करते रहे। किसी में आगे बढ़ने की इच्छा हो तो वो बस मन मार के अपने ही राज्य में जड़ा रहे। ऐसा करने के पीछे दर असल उनका लक्ष्य भारत के विराट स्वरूप को टुकड़े टुकड़े करके रखना है। खैर माँ बोली ऐसी चीज है जो बालक अपनी माँ से सीखता है घर से सीखता और जीवन भर सीखता रहता है
व्यक्ति अपने कुनबे ठोले गाम राम इलाके और प्रदेश से अपने पूरे जीवनकाल में शब्द टोन लहजा और शब्दों के वजन आदि लगातार सीखता रहता है उम्र के लिहाज से भी शब्द चयन और वाक्य विन्यास में फर्क पड़ता है
मैं जिस परिवेश में बड़ा हुआ हूँ वो पूरी तरह से हरियाणवी था नतीजन मैं अपनी माँ से आज भी हरियाणवी में ही बात करता हूँ लेकिन मेरी नानी मेरे से या मेरी दादी मेरे से जिस बोली में बात सदा ही बात की है उसका हरियाणवी से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है
मेरी उस बोली पर भी फुल कमांड है इतनी कमांड है कि मेरे साथ वालों से आज भी मैं कई खेल खेल में शब्द ऐसे पूछ बैठता हूँ उनके पास सर खुजाने के सिवा कोई चारा नहीं होता है
इसकी वजह सिर्फ सेल्फ इंटरेस्ट है मैंने A Jukes की लिखी सन 1900 की डिक्शनरी खोजी हुई है जिसमें हमारी बोली के लगभग पूरे शब्द समेटे हुए हैं

यह खोज कई बरस पहले मेरे दादा जी के नाम के अर्थ के साथ शुरू हुई थी मेरे मन के अंदर ही अंदर , मैंने अपने समाज के कई लोगों से पूछा किसी को कुछ नहीं पता था
फिर जब इन्टरनेट आया और मैं कई बरस ऐसे ही पंगे लेता रहा फिर एक दिन आरकाईव डॉट.ओ.आर.जी पर मुझे A Jukes द्वारा कम्पाईल की गयी पूरी डिक्शनरी मिल गयी जिसमें मुझे मेरे दादा जी के नाम का अर्थ भी मिल गया
मेरे दादा जी का नाम था Ushnak Rai जिसका डिक्शनरी अर्थ था One who is dainty (नजाकत भरा ) in food and dress etc. adj Sharp, Clever used ironically.

इस छोटे से काम में मुझे शायद एक दशक का समय लगा लेकिन अब मेरे पास ऑलमोस्ट सभी शब्दों का कलेक्शन है उनकी टोन और लहजा मैंने मेरी दादी से नानी से जीवन भर सुना है इसीलिए मुझे शब्दों की प्लेसमेंट और वाक्य विन्यास का भी ठीक ठाक पता है
मैंने कभी स्कूल में नहीं पढ़ी घर से बाहर यहाँ तक कि अपनी माँ के साथ भी नहीं बोलता लेकिन नानी के साथ बोल लेता हूँ
क्या हमारी माँ बोली मर गयी
नहीं मरी मेरे अंदर पूरी तरह से से ज़िंदा है
हमारा परिवार लाखों हिंदुओं की तरह इस्लाम का स्वाद चख कर सन 1947 में वेस्ट पंजाब की तहसील शोरकोट से रोहतक आ गया दो पीढियां दाल फुल्के के इंतजाम में लगी रही तीसरी पीढ़ी को अपनी बोली और विरासत की फ़िक्र हुई तो कहीं कुछ नहीं मिला
फिर धीरे धीरे इन्टरनेट के सहारे हमने अपना तांगा जोड़ लिया
अब मैं बागड़ी देशवाली पुआधी सभी को सीखता हूँ और सभी के रस का आनंद लेता हूँ
एक दिन मेरे पुआधी बोली की लड़ाई लड़ने वाला क्रांतिकारी फंस गया जो माँ बोली बचाओ अभियान का झंडा ठाए फिरे था
मुझे आउट साइडर की तरह ट्रीट करे था मैंने उस पे सबके सामने पूछ लिया भाई तन्ने पुआधी शब्द का बेरा है उसकी खोपड़ी घूम गयी उसकी शकल बतावे थी की मन में फाइल नॉट फाउंड हो लिया है
फिर उसने एक दो तुक्के शुक्के मारे जो काम नहीं आये
फिर उसको मैंने A Jukes वाली डिक्शनरी में से पुआध का अर्थ खोल के दिखाया जो की पूर्व होता है
हम चूँकि पश्चिम पंजाब के बाशिंदे थे पूर्वी पंजाब वालों को पुआधी कहा करते थे इसीलिए हमारे डिक्शनरी में दर्ज हो गया
उसदिन पाच्छे वो मेरे आगे तो किरांती का झंडा नहीं ठाता क्यूंकि मन्ने फिर कोई शब्द पूछ लेना है
हम भारत के लोग बेहद लकी हैं हमें तमिल तेलगु मलयालम मराठी हिंदी इंग्लिश उर्दू पंजाबी बंगाली इतनी सारी सम्पूर्ण भाषाएँ मिली हैं
मेरे घर के बर्तनों पर आज भी उर्दू लिखी हुई है मेरे छोटे भाई दिनेश ने आज से कोई तीस बरस पूर्व मोहल्ले के बुजुर्ग जो दूकान चलाया करते थे से उर्दू भाषा स्कूल के काम से अलग अपनी इच्छा से सीख ली थी
हमने जीवन भर अपने देश की सारी भाषाएँ सीखनी मैंने तिब्बती बंगाली तेलगु तमिल सिंहली इन भाषाओँ के पोपुलर सोंग सेल्क्ट किये हुए हैं जिन्हें मैं खूब बजाता हूँ
मेरे कालेर ट्यून में जो गाना पिछले दो साल से लगा है वो रेमो फेर्नेंडिस का गया हुआ कोंकणी भाषा का सोंग है
जो साथी मेरे साथ कार में घूमते उन्हें इन सभी भाषा के गानों का रस मिलता है
मेरे हिसाब से माँ बोली कोई किसी से छीन नहीं सकता है और इसके गीत गाने वाले देश के प्रगति में स्पीड ब्रेकर ही हैं इससे ज्यादा कुछ नहीं हैं
इंग्लिश भी हमारी अब मातर भाषा ही हैं इसको जितना जल्दी समझ लेंगे उतना ठीक रहेंगे क्यूंकि इसका विरोध करके हम सिर्फ अपना समय ही खराब कर सकते हैं
ये सारा देश अपना है , यहाँ बसने वाले सारे लोग अपने ही परिवार के हैं हमे यह देश बसाना है डबोना नहीं है इस बात को हमने सबसे ऊपर रख कर ही चलना है