किसान अमरजीत शर्मा जी सुबह पांच बजे अपने खेत मे सक्रिय हो जाते हैं और सुबह दस बजे तो वो वापिस अपने घर को चल देते हैं।
हमारे जैसे बोतडू सुबह दस बजे दिन की शुरुआत करते हैं तब तक तो अमरजीत शर्मा जी अपना पूरा दिन लगभग दी एन्ड कर चुके होते हैं।
सुबह सुबह का प्रकृति का जो नज़ारा होता है और जैविक खेत जो अपने आप सारी बातें बोलता है के साथ संवाद करना कितना सुकून का काम है इसका अंदाजा किसान अमरजीत शर्मा जी के साथ बातचीत करके लगाया जा सकता है।
सुबह सुबह खूब पसीने निकाल कर काम निबटा कर घर की ओर चलने से पूर्व लस्सी के दो लार्ज गिलास लगाने में जो मज़ा आ सकता है उसका एक डिप कल मुझे भी लगाने का मौका मिला।
जैसे ही कल मैं अमरजीत जी के खेत मे घुसा तो उनके फोन पर रिंग बजी उन्होंने बड़ी तसल्ली से पॉलिथीन में लिपटा हुआ फोन निकाला और बात कि तो मैंने समझ लिया कि किसी ग्राहक का फोन है।
जैसे लोग डॉक्टर से अपॉइंटमेंट मांगते हैं ठीक उसी तरह अमरजीत जी के रहे थे कि दस बजे से पूर्व आ जाइये अन्यथा कल सुबह आयेगा लेकिन दस बजे से पहले।
अमरजीत जी बताते हैं कि उनके पास कुल 1 एकड़ भूमि है जिसके उत्पाद वो अपने घर मे भी यूज कर लेते हैं और छक कर बेच भी लेते हैं फिर भी बच जाता है, जो हमारे जैसे आये गयों की किस्मत में लिखा रहता है।