
आज दिनांक 28 अगस्त 2019 को नीलोखेड़ी करनाल में स्थित एक्सटेंशन एजुकेशन इंस्टीटूट जिसे भारत सरकार का कृषि मंत्रालय हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मार्फ़त संचालित करता है में जम्मूकश्मीर, उत्तराखंड, और हरियाणा से आये हुए मिडल लेवल एक्सटेंशन फंकक्शनरीज के साथ चर्चा करने का अवसर मिला।
विषय था एक्सटेंशन स्ट्रेटेजीस फ़ॉर लिंकिंग फार्मर्स विद एग्रो प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज़।प्रोग्रोवेर्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड तरावड़ी करनाल के निदेशक भाई Vikas Chaudhary जी से निवेदन किया कि वे भी लेक्चर में बतौर फैकल्टी आएं और चर्चा में भाग लें।

चर्चा का आगाज़ इस बात किया गया कि हमें फार्मर्स को एग्रो प्रोसेसिंग इंडस्ट्री से जोड़ने की क्यों आवश्यकता है। जाहिर है जवाब जो मिलना था कि “पैसे कमाने के लिए”हमने सेंटर में पैसे को रख कर एक ओवरव्यू लिया कि पैसे कमाने के लिए किसान को कौन कौन सी कीमतें चुकानी पड़ रही हैं और कौन कौन से बलिदान किसान को देने पड़ रहे हैं।
बात अपने आप घूम कर वहीं आ गयी जहां अपनी हर रोज़ आती है।बाजारवादन्यू वर्ल्ड आर्डरभिन्न भिन्न 38 प्रकार के एग्रीकल्चर लेजिस्लेशन कैपिटल कोआपरेटिव स्ट्रक्चरऑर्गनिज़ाशनल डिज़ाइन विकास की अधिकतम सीमा क्या हो ?
- फ़ूड एडल्टरेशन
- कृषि व्यवसाय
- लोकल प्रोडक्शन
- लोकल कंसम्पशन मॉडल
- ट्रांसपेरेंसी
- ट्रेसेबिलिटी
इन सब मसलों पर हम अनेकों बार यहीं फेसबुक के माध्यम से चर्चा कर चुके हैं। किसान कम्पनी के निदेशक औऱ फार्मर विकास चौधरी जी ने बताया कि किस प्रकार उन्होंने किसानों का एक ग्रुप बनाया और धीरे धीरे किसान उत्पादक संगठन की रचना की और आज 250 किसानों के सहयोग एक बड़ी कामयाबी की इबारत लिखी जा रही है।
कल शाम को जब कैथल जिले के चीका क्षेत्र के खरौदी गांव में नई बनी किसान कंपनी के सदस्यों से साथ खुली चर्चा चल रही थी तो मोटे मोटे कैलकुलेशन से यह पता चला की एक गांव से कोई 19 करोड़ रुपये की फसल पैदा हो कर जाती है लेकिन यह टर्नओवर किसान का न होकर फर्मो का काउंट होता है।
दूसरे गांव में मौजूद दुकानों में किसानों की बनाई हुई कोई वस्तु मौजूद नही हैं तो ऐसा कैसे चलेगा।हमारे पास कोई रेडीमेड सॉल्यूशन नही है और न कोइ रेडिमेड प्रोटोकॉल है।
हम तो कंडीशन्स के सेट राइट करने के लिए इकोसिस्टम विकसित करने पर चर्चा कर सकते हैं।ढाई घण्टे कैसे बीते मालूम नही चला। उत्तर सभी के मन से ही निकल कर आना है और सभी की नज़र में नज़रिया उनके अनुभवों के आधार पर ही विकसित होना है, उसमे कितना समय लगेगा कोई कब नही कह सकता।
