चींटियों का सहज समझ ज्ञान

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डॉ० जयवीर सिंह अध्यक्ष महर्षि सुश्रुत चिकित्सा संस्थानएवं वन्य जीव संरक्षण एवं अनुसंधान संस्थान

वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि चींटियां अनाज और बीजों को जमा कर जमीन में रखने से पहले उन्हें दो टुकड़ों में तोड़ देती हैं।

क्‍योंकि यदि दाना या बीज दो टुकड़ों में न टूटे, तो वह भूमि में उगकर पौधा बन जाएगा।

उन्होंने हैरानी से कहा कि चींटियां धनिये के बीज को चार भागों में काटती हैं क्योंकि धनिये का एक ही बीज होता है जो दो भागों में काटने के बाद भी अंकुरित हो सकता है।

तो चींटियों ने इसे चार भागों में काट दिया लेकिन हैरानी की बात यह है कि यह सब उनको बताया किसने?

प्रकृति की ताकत और गहराई समझो धरती के सबसे पुरातन कुशल और समृद्ध परंतु शांत और शील किसानों से चींटी खुद के वजन से कई गुना ज्यादा वजन ज्यादा उठा लेती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि चींटी इंसानों की तरह खेती भी करती है। ये सुनने में भले ही अजीब लग रहा हो, लेकिन यह सच है कि चींटी भी इंसानों की तरह खेती करती है।

इस खेती में फसल करना, सिंचाई करना, हवा के लिए उचित व्यवस्था करना शामिल है। आप भी चींटी की खेती की कहानी सुनकर हैरान रह जाएंगे। खास बात ये है कि चींटियां कुछ साल पहले से ही नहीं, बल्कि इंसानों के पहले से ही ये खेती कर रही हैं। बताया जाता है कि चींटियां 5 करोड़ से ज्यादा साल पहले से यह काम कर रही हैं। ये खास तरह की चींटियां होती हैं, जो अपने बिलों में खेती करती हैं।

ये इस खेती के लिए काफी मेहनत करती है और पूरे वैज्ञानिक तरह से अपनी ‘फसल’ को पैदा करती है। ऐसे में जानते हैं कि आखिर ये चींटियां किस तरह से फार्मिंग करती हैकिस चीज की खेती करती हैं चींटियां? इन चींटियों को लीफ कटर कहा जाता है, जो पेड़ों से पत्तियां काटती हैं। इन चींटियों के पत्तियां काटने की स्पीड काफी तेज होती है और कहा जाता है कि यह एक दिन में पूरे पेड़ को साफ कर सकती है।

इन पत्तियों को काटने के बाद वो खुद इन पत्तियों को अपने बिल में लेकर जाती है। बता दें कि ये चींटियां अपने खाने के लिए नहीं, बल्कि अपनी खेती के लिए इन पत्तियों का इस्तेमाल करती हैं। एक पत्ती का वजन उनके वजन से कई गुना ज्यादा होता है.इनके बिल भी काफी अलग होते हैं, जो कई मीटर में फैले होते हैं। एक तरह से उनके बिल में हजारों कमरे होते हैं और ये 0.5 स्कवायर किलोमीटर तक अपने बिल को जमीन के नीचे फैला लेती हैं।

ये चींटियां अपने बिल में फंगस की खेती करती हैं और इन पत्तियों का इस्तेमाल फर्टिलाइजर के रुप में किया जाता है.फंगस की खेती के लिए पहले चींटियां बिल में पत्तियां लेकर आती हैं। इसके बाद इस फंगस की कीड़ों से रक्षा भी करती हैं और इस फंगस के आसपास कचरे या बेकार तत्व को हटाती हैं। इतना ही नहीं, चींटियां फंगस के लिए जरूरी नमी की व्यवस्था करती हैं। अगर किसी स्थान पर नमी की कमी होती है तो उस स्थान पर बाहर से पानी लाकर नमी का स्तर बढ़ाती हैं और अगर नमी ज्यादा होती है तो उसे भी मैनेज करती हैं।

इतना ही नहीं, फंगल ज्यादा मात्रा में कार्बन डाइ ऑक्साइड छोड़ती है तो वो उसके वेंटिलेशन की भी उपयुक्त व्यवस्था करती हैं.चींटियां काफी सेंसिटिव होती हैं तो वो फंगस की जरुरत को भी समझती हैं और उसके हिसाब से उनके लिए व्यवस्था करती हैं। इसमें अलग चींटियों का भी अलग अलग वर्ग होता है, जो हर ग्रुप का अलग अलग काम डिसाइड होता है। इसमें बड़ी चींटिया एक सैनिक की तरह काम करती हैं और वजन उठाती हैं।

वो बिल की रक्षा करती हैं और रास्ता बनाती हैं। वहीं, छोटी चींटिया, जिन्हें मेडी कहा जाता है वो पत्तियां काटने का काम करती हैं। वहीं, दूसरी और छोटी चींटियां घर पर काम करती हैं और फंगस गार्डन के लिए काम करती हैं। इसमें कई चींटियों का काम कचरा साफ करने का होता है.वहीं, फंगस चींटियों के लिए एक फूड सोर्स होता है, चींटियों के लार्वा के लिए काम आता है। चींटियों की दर्जनों प्रजातियां फंगस की खेती करती हैं, जिसे लार्वा को खिलाया जाता है.प्रकृति के जितना करीब जाता हूं हैरानी बढ़ती जा रही है।