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कपूरासव एक शानदार औषधि इसे कैसे बनाएं

पुराने ग्राम वैद्यों की अचूक घरेलू औषधि थी कपूरासव।

पैटेंट कानून ओर आबकारी कानूनों की भेट चढ़ गई यह अति उत्तम देसी औषधि जो कि पेट दर्द, हैजा, उबाक,जी मिचलाना,गैस अफारा,बदहजमी आदि दर्जनों पेट रोगों की एक शानदार हानिरहित,सरल,सस्ती, उपयोगी कारगर दमदार औषधि है ।

आजकल इसके विकल्प में अमृतधरा प्रयोग होती है। अमृतधारा भी काफी उपयोगी है अगर असली मिल जाए तो।

बनाने की विधि

बढ़िया देशी शराब 1 लीटर और असली कपूर 70 से 75 ग्राम, अजवाइन, सौंठ, काली मिर्च, लौंग, इलायची व नागर मोथा घास की सुखाई हुए जड़ सभी 10 -10 ग्राम । सभी 6 औषधियों का दरदरा चूर्ण बना कर शराब सहित किसी कांच के पात्र में डाल दे ओर पात्र का मुंह बंद कर के 1 महीने के लिए रख दें। बाद में अच्छी तरह छान कर किसी शीशे की बोतल में डाल कर रखे लें व अपनी जरूरत के हिसाब से 10-20 मिली लीटर औषधि की ड्रॉपर में डाल कर रखें ।

प्रयोग की मात्रा

2 से 8 साल के बच्चों को 2 बूंद
8 से 14 साल वालों व महिलाओं को को 4 से 6 बूंद
14 वर्ष से अधिक के पुरुष 6 से 10 बूंद।

प्रयोग की विधि

खाने के बाद 1 चमच्च शक्कर,खांड या बतासे में डालकर या फिर 50-40 मिली लिटर गुनगुने या ताजे पानी में डालकर या जरूरत अनुसार कभी भी।

कुछ याद रखने व ध्यान देने योग्य बातें

यह एक आर्युवेदिक दवाई है अतः इसके कोई नुकसान नहीं हैं , फिर भी कुछ परिस्थियों में इन्हें किसी योग्य वैध की सलाह से ही लेना चाहिए।
नवजात शिशु व एक साल से छोटे बच्चों को नहीं देना चाहिए।
किसी भी सर्जरी के तुरत पहले या बाद चिकित्सक परामर्श के बिना नहीं देना चाहिए।
आँख , नाक या कान में नहीं डालना चाहिए।
इसकी अधिक मात्रा से इसका तीखापन नुकसान पहुँचा सकता हैं , अतः बच्चो से इसे दूर रखे।
हमेशा ढक्कन टाइट बन्द करके रखें।

नोट : जिन्हे प्यास कम लगती है या चाहकर भी अधिक पानी नहीं पी पा रहे ऐसे लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं यह औषधि ।

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