छोटे काम का बड़ा नतीजा पेंटर और नाव वाला किस्सा

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एक आदमी ने एक पेंटर को बुलाया और अपनी नाव दिखाकर कहा कि इसको पेंट कर दो । पेंटर ने उस नाव को लाल रंग से पेंट कर दिया जैसा कि नाव का मालिक चाहता था। फिर पेंटर ने अपने पैसे लिए और चला गया ।

अगले दिन, पेंटर के घर पर वह नाव का मालिक पहुँचा और उसने एक बहुत बड़ी धनराशि का चेक उस पेंटर को दिया। पेंटर भौंचक्का हो गया और पूछा ये इतने सारे पैसे किस बात के हैं ?
मेरे पैसे तो आपने कल ही दे दिया थे । मालिक ने कहा भाई, ये पेंट का पैसा नहीं है, बल्कि ये उस नाव में जो “छेद” था, उसको रिपेयर करने का पैसा है ।

पेंटर ने कहा – अरे साहब, वो तो एक छोटा सा छेद था, सो मैंने बंद कर दिया था। उस छोटे से छेद के लिए इतना पैसा मुझे ठीक नहीं लग रहा है । मालिक ने कहा दोस्त, तुम्हें पूरी बात पता नहीं । अच्छा में विस्तार से बताता हूँ। जब मैंने तुम्हें पेंट के लिए कहा तो जल्दबाजी में, मैं तुम्हें ये बताना भूल गया कि नाव में एक छेद भी है उसको रिपेयर कर देना और जब पेंट सूख गया, तो मेरे दोनों बच्चे उस नाव को लेकर समुद्र में नौकायन के लिए निकल गए ।


मैं उस वक़्त घर पर नहीं था, लेकिन जब लौट कर आया और अपनी पत्नी से ये सुना कि बच्चे नाव को लेकर नौकायन पर निकल गए हैं । तो मैं बदहवास हो गया। क्योंकि मुझे याद आया कि नाव में तो छेद है । मैं गिरता पड़ता भागा उस तरफ, जिधर मेरे प्यारे बच्चे गए थे। लेकिन थोड़ी दूर पर मुझे मेरे बच्चे दिख गए, जो सकुशल वापस आ रहे थे ।

अब मेरी ख़ुशी और प्रसन्नता का आलम तुम समझ सकते हो । फिर मैंने छेद चेक किया तो पता चला कि मुझे बिना बताये तुम उसको रिपेयर कर चुके हो । तो मेरे दोस्त उस महान कार्य के लिए तो ये पैसे भी बहुत थोड़े हैं । मेरी औकात नहीं कि उस कार्य के बदले तुम्हें ठीक ठाक पैसे दे पाऊं । जीवन में “भलाई का कार्य” जब मौका लगे हमेशा कर देना चाहिए, भले ही वो बहुत छोटा सा कार्य ही क्यों न हो ।क्योंकि कभी कभी वो छोटा सा कार्य भी किसी के लिए बहुत अमूल्य हो सकता है।

सभी मित्रों को जिन्होंने ‘हमारी जिन्दगी की नाव’ कभी भी रिपेयर की है उन्हें हार्दिक धन्यवाद और हम सब सदैव प्रयत्नशील रहें कि हम सभी किसी की नाव रिपेयरिंग करने के लिए हमेशा तत्पर रहें