जेंथिप, भामती और भारती के बहाने
कुमारी वंदना सुकरात के बारे में प्रचलित है कि उनकी पत्नी बहुत कर्कशा थी। एक बार जब उसने भोजन करने के लिए सुकरात को आवाज दी, सुकरात अपने शिष्यों से चर्चा में मगन थे। जब बारबार आवाज देने पर भी वे नहीं गए तो सुकरात की पत्नी ने आकर उन पर पानी उड़ेल दिया (पानी की जगह कहीं कहीं चाय और कहीं कहीं कीचड़ का भी उल्लेख मिलता है)। सब दंग रह गए तो सुकरात ने कहा – मेरी पत्नी कितनी करुणामयी है, गर्मी से राहत देने मुझपर पानी उड़ेल गयी। वैसे तो इस कथा में सुकरात के सहिष्णु पक्ष …