उपवास का महत्वऔर प्लेसिबो की खोज

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डॉक्टर रसेल ट्रॉल यह पहले अमेरिकन एलोपैथिक डॉक्टर थे। सरकारी डॉक्टर होने के नाते वो गांव गांव जाकर बीमार लोगों को दवाइयां देते थे। एक दिन उन्होंने देखा कि एक महिला बहुत ही गंभीर बीमार है।

उन्होंने चेक किया और उनके घर वालों को बताया कि वो महिला 1 हफ्ते से ज्यादा दिन जीवित नहीं रह सकेगी, इसलिए उन्होंने उसे कोई भी दवा नहीं दी। उसे उसके हाल पर छोड़ दिया गया। 15 दिन के बाद डॉक्टर ट्रॉल फिर उसी गांव में विजिट देने गए।तब उन्होंने देखा कि जो महिला 1 हफ्ते के भीतर मरनेवाली थी वो तो जीवित है और अच्छे तरीके से काम कर रही है।

उन्हें आश्चर्य लगा कि यहां मेरे सिवा दूसरा कोई डॉक्टर नहीं है तो इसे दवा किसने दी? ये जीवित कैसे रही? तब उन्होंने उस महिला से पूछा, कि तूने कौन सी दवा ली? तो उसने कहा मैं तो 1 हफ्ते के भीतर मरने वाली थी,इसलिए घर वालों ने मुझे अन्न पानी नहीं दिया और मैं खा- पी भी नहीं सकती थी इसलिए मेरा उपवास हो गया और मेरा मेरी बीमारी अपनेआप चली गई।

तब डॉक्टर रसेल ट्रॉल को पता चला की उपवास से शरीर शुद्ध होता है, बीमारी भाग जाती है और दवा की जरूरत नहीं पड़ती है। तो उन्होंने एक ऐसी ऐसी दवा तैयार की जिसमें कोई भी ओषधी तत्व नहीं था। दिखने में वह गोली थी पर उसमे ओषधी तत्व कुछ भी नहीं था। उसे गोली को प्लेसिबो कहते हैं।

उन्होंने प्लेसिबो निर्माण की और 1साल अपने आधे पेशेंट को एलोपैथिक दवा दी और आधे पेशेंट को प्लेसिबो दी ।तब उन्हें आश्यर्यकारक परिणाम मीले। जिन लोगों ने एलोपैथिक दवा ली उनकी 1 साल में बीमारी वैसी ही थी कम नहीं हुई थी,तो कुछ लोगों की बीमारी बढ़ गई थी।पर जिन्होंने प्लेसिबो ली वो सब ठीक हो गए।

तब उन्होंने दुनिया को यह बात समझाना चाहा के दवा से फायदा नहीं होता है और उपवास से रोग्य दूर हो जाते है, पर दुनिया ने उनकी बात नहीं मानी। इसलिए उपवास का महत्व समझ लो। हमारे संस्कृति में उपवास हजारो साल से चलता आ रहा है।