डॉ नरेश बैंसला ने अपनी वैज्ञानिक समझ से सनातन संस्कृति के पौराणिक संदर्भों को समझाया

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यह सवाल अक्सर हमारे मनों में गूंजता रहता है कि हमारी संस्कृति में दुर्गा माता को आदिशक्ति के रूप में कैसे माना जाता है? आज किसान संचार कार्यालय में नयी दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसन्धान संसथान के प्लांट ब्रीडिंग एंड जेनेटिक्स विभाग में कार्यरत सीनियर साइंटिस्ट डॉ नरेश बैंसला जी पधारे थे और उन्होंने चर्चा में आज बहुत सारी रोचक और वैज्ञानिक जानकारियों का खुलासा किया जो मेरे लिए तो बेहद नयी और मन में रौशनी भरने वाली थी। कुछेक बातें मुझे ऐसी लगी कि इसे भाईचारे के साथ सांझा किया जाये।

meeting with dr. naresh bainsla principal scientist indian agricultural research institute new delhi at kisan sanchar office zirakpur web

महिलाओं को देवता भी नहीं समझ सकते हैं

यह स्टेटमेंट अक्सर हमें अपने घरों और समाज में सुनने को मिलती है और हम इसकी वास्तविकता से अनजान होते हैं डॉ नरेश बैंसला ने बताया कि यदि विज्ञान कि दृष्टि से देखा जाये जो स्त्री पुरुष का लिंग निर्धारण X और Y क्रोमोजोम से होता है इतना तो सभी जानते हैं लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि Y क्रोमोजोम दरअसल टूटा हुआ X क्रोमोजोम ही होता है X क्रोमोजोम की एक टांग टूटने से Y क्रोमोजोम बनता है और जो हिस्सा क्रोमोजोम का टूट जाता है उसपर कम से कम 1600 से 2500 जीन्स होते हैं और इसीलिए हरेक मेल अपने आप में एक इन्कम्प्लीट फीमेल होता है चूंकि जीन्स में ही सारी इनफार्मेशन कोडेड होती है और मिसिंग जीन्स कि वजह से इनफार्मेशन लोस होता है इसी लिए पुरुष कभी भी माहिलाओं को समझ नहीं सके हैं और ना कभी समझ सकेंगे।

हरेक व्यक्ति को दस से पंद्रह ग्राम पत्ते हर रोज खाने चाहियें

molecular structure of cholorphyll and haemoglobin

डॉ नरेश बैंसला जी ने मुझे एक चित्र दिखाया जिसमें पौधों में पाए जाने वाले क्लोरोफिल और हमारे रक्त में पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन का मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर दिखाया गया था वही चित्र मैंने आपके साथ भी शेयर किया है। इस चित्र में आप देखेंगे कि सिर्फ और सिर्फ केंद्र में मैग्नीशियम और आयरन का फर्क है बाकी सबकुछ एकदम सेम टू सेम है। कोई भी पत्ते जिन्हें आप सहजता से चबा सकें या उनकी स्मूदी बना सकें हर रोज दस से बीस ग्राम अपनी अपनी कैपेसिटी से खाने चाहियें जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने का मटेरियल आसानी से उपलब्ध हो जाए। आज हमारी जीवन शैली ऐसी हो गयी है कि हम धूप ताज़ी हवा और साफ़ प्राकृतिक पानी जैसी कुदरत की नेहमतों को तरस चुके हैं। ताजे पत्ते तो हम खा ही नहीं पाते इसीलिए सभी लोग रक्तअल्पता के चलते अपने जीवन का सुख नहीं ले पा रहे हैं।

कीकर का डिफेन्स मैकेनिज्म

डॉ बैंसला जी ने बताया कि कीकर का पेड़ बाकी पेड़ों की ही तरह बेहद सयाना होता है। यदि पेड़ ऐसी जगह पर लगा हो जहाँ उसे कोई छेड़े नहीं तो उसपर शानदार पत्ते रहते हैं और वो पेड़ हराभरा रहता है। लेकिन यदि उसे छांग दिया जाये या उससे दातुन तोडनी शुरू की जाए तो पेड़ अपनी पत्तों को शूलों में बदलना शुरू कर देता है। ताकि जो भी जीव उससे छेड़खानी कर रहे हैं वो शूलें उसे सबक सिखाएं और उसकी हद को तय करें।

आदिशक्ति दुर्गा क्यों और कैसे ?

सनातन संस्कृति में ब्रहमा विष्णु और महेश में से हथियारबंद सिर्फ विष्णु और महेश जी ही हैं और ब्रहमा जी के पास कोई हथियार नहीं है। जबकि मां दुर्गा का ध्यान करें तो उनके पास त्रिशूल , धनुष , तलवार, चक्र, गदा के साथ साथ सिंह, शंख और कमल भी हैं। जब महिषासुर जैसा शक्तिशाली राक्षस जब किसी देवता के काबू में नहीं आया तो आदिशक्ति ने दुर्गा का रूप लेकर महिषासुर का संहार किया।

durga ma web

ऐसा क्यों है कि सनातन संस्कृति में देवता को एक हथियार और बस एक ही कार्य दिया गया है जबकि मां दुर्गा को शक्ति , चेतना, बुद्धि, निद्रा, भूख , छाया , इच्छा, क्षमा, जाति, लज्जा, शान्ति, श्रद्दा, कान्ति, लक्ष्मी, वृत्ति, स्मृति, दया , तुष्टि , माता, भ्रान्ति आदि के रूप में स्थान दिया गया है इसके बारे में दुर्गा सप्तशती के चैप्टर तंत्रोक्तं देवीसूक्तम में विस्तार से बताया गया है।

यह तो हो गयी पौराणिक रेफरेंस से बात अब इसको देखते हैं आधुनिक विज्ञान की नज़र से, डॉ बैंसला जी ने बताया कि ओवम (एग) के पास अपना न्यूक्लियस होता है जिसमें जेनेटिक इनफार्मेशन कोडेड होती है इसके अलावा उसके पास साइटोंप्लाज्म होता है जिसमें भी भर भर के जेनेटिक इनफार्मेशन कोडेड होती है और इसके अलावा माईटोकोंड्र्रिया होता है जिसमें माईटोकोंड्र्रियल डीएनए अलग से होता है जिसमें भी जेनेटिक इनफार्मेशन कोडेड होती है और इसके पास भी लगभग पच्चीस हज़ार जीन्स अपने होते हैं जबकि स्पर्म में सिर्फ एक न्यूक्लियस होता है और सिर्फ उसे ही ओवम (एग) में प्रवेश कि अनुमति होती है। कुलमिला कर बात यह है कि इस जगत में नारी ही शक्ति है वोही अपने आप में सम्पूर्ण है। शिव में जो ई की मात्रा है वोही शक्ति है अन्यथा बाकी जो बचा है वो शव है ई के जुड़ने से ही शव शिव हो जाते हैं।

डॉ नरेश बैंसला जी सेल जेनेटिक्स के रहस्यों को समझाते हुए , इस विडियो को खाली समय में शांत मन से देखिएगा

इस जगत कि समस्त नारियां ही शक्ति का स्वरुप हैं और जितने भी पुरुष हैं वो टेक्निकली इन्कम्प्लीट फीमेल्स ही हैं और कुछ नहीं इसीलिए सनातन संस्कृति और विश्व की अन्य सुलझी हुई सभ्यताओं जैसे यूनान नें महिलाओं को ही ज्ञान और शक्ति की अधिष्ठात्री माना है। ज्ञान का देवता दुनिया में कहीं नहीं है।

डॉ नरेश बैंसला जी ने आगे बताया कि इजरायल देश में यहूदी निवास करते हैं और यह कौम दुनिया की सबसे ज्यादा रहस्यमयी और टेक्निकल कौम मानी जाती है। यहूदी लोग अपने देश में आज भी साईटोंप्लास्मिक इन्हेरीटेन्स का सिद्दांत फॉलो करते हैं। इस सिद्दांत के अनुसार वो अपने देश कि नागरिकता तय करते हैं। वो कहते हैं कि इजरायल की लड़की दुनिया में से कहीं से भी शादी करके आ जाये उसकी संतान को इजरायल की नागरिकता और यहूदी स्टेटस प्रदान कर दिया जायेगा। जबकि इजरायल का कोई पुरुष किसी और गैर यहूदी महिला को शादी करके अपने देश में लाना चाहे तो उसे इजरायल छोड़ना पड़ जाता है क्यूंकि उसकी पत्नी और संतानों को यहूदी स्टेटस नहीं मिलता है। यह पूर्ण रूप से सत्य और वैज्ञानिक रूप से परखा हुआ सिद्दांत है और इसी को फॉलो करके ही इजरायल आज दुनिया में एक बहुत बड़ी ताकत के रूप में स्थापित है।

डॉ नरेश बैंसला जी ने एक बात और बताई कि जैसे हमारे यहाँ कहावत है कि चोर चोर मौसेरे भाई यह बात भी साईटोंप्लास्मिक इन्हेरीटेन्स के सिद्दांत के अनुरूप पूर्ण रूप से सत्य है क्यूंकि मौसेरा भाई चेचेरे भाई से ज्यादा जेनेटिक रूप से नज़दीक होता है।

आधुनिक विज्ञान में कॉमपैरेटिव जेनेटिक्स के सिद्दांत के अनुरूप जब भी दो प्रजातियों का अध्यन करना होता है कि वो एक दुसरे के जेनेटिक रूप से कितनी नज़दीक हैं तो न्युकलीयर डीएनए का रेफेरेंस नहीं लिया जाता है उस समय सिर्फ साईटोंप्लास्मिक डीएनए को ही देखा जता है। हमारे बुजुर्गों को इस वैज्ञानिक सिद्दांत की बहुत अच्छे से समझ थी इसी लिए उन्होंने चोर चोर सगे भाई ना कहकर चोर चोर मौसेरे भाई की बात कही।