ग्रीनहाउस गैसेस के नाम पर काटी जा रही हैं खेती किसानी के जड़ें

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खबर आयरलैंड से डेवेलोप हो रही हैं जहाँ किसान सड़कों पर अपने ट्रैक्टर्स आदि लेकर आये हैं और आयरिश सरकार के एक फरमान का विरोध जता रहे हैं जिसके तहत ग्रीनहाउस गैसेस का हवाला देकर दो लाख दूध देने वाली गायों का कत्ल  किया जाना है और वहां कि व्यवस्था किसानों से जबरदस्ती उनकी दुधारू गायें लेकर उन्हें कत्ल करने की योजना पर काम कर रही है

भारत में किसानी मामलों के जानकार और किसानों की आवाज डॉ देवन्द्र शर्मा जी ने अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से लिखा है कि हम किसानों के खिलाफ व्यवस्था द्वारा चलाये जा रहे नीतिगत युद्ध के बीचों बीच खड़े हैं और किसानों को उनके खेतों से निकालने के प्रयास दुनिया भर में किये जा रहे हैं और पशुओं को कत्ल किया जा रहा है ताकि कृत्रिम फ़ूड इंडस्ट्री को खड़ा किया जा सके खेती और किसानी एक सॉफ्ट टारगेट है

भाई यह एक गंभीर विषय है और इस छोटी सी सात समुन्द्र पार से आई खबर में एक बड़ी सीख छिपी है

मैंने अपने अनुभव से सीखा है कि किसान एक मजबूत कौम है शायद भारत में सबसे ज्यादा इसकी जड़ें सबसे गहरी हैं और सबसे ज्यादा इसका प्रासार है आज भी खेती देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली इंडस्ट्री है

इस मजबूत कौम को एक छोटी सी ट्रिक से मैनेज किया हुआ है और इस ट्रिक का मूल अफ्रीका में है अफ्रीका के लोगों को जो जंगल में रहते हैं जब कभी भी लकड़ी कि आवश्यकता होती है तो वे जंगल से बीन लाते हैं और अपना काम चला लेते हैं लेकिन जब उन्हें किसी विशेष प्रयोजन के लिए ज्यादा मात्रा में लकड़ी चाहिए होती है तो वो एक पुराना सा पेड़ छांट लेते हैं और पूरा परिवार उस पेड़ को घेर कर बैठ जाता है और उसके कोसना चालू करता है पेड़ को कोसने के लिए उन्होंने पूरा एक शाब्दिक प्रोटोकॉल बनाया हुआ है जिसमें टिका टिका के शब्दों से पेड़ को कोसा जाता है और थोड़े दिनों में पेड़ सूख जाता है और वो उस पेड़ को काट कर लकड़ी प्रयोग कर लेते हैं

भारत में किसानों के साथ बिलकुल यही तकनीक अपनाई  जाती है जिसे देखो वही कहता है खेती में कुछ नहीं है , किसान मर रहा है , किसानी तबाह हो रही है किसान उसी पेड़ कि तरह जड़ बनकर सुनते रहते हैं और धीरे धीरे अंदर से सूखने लगते हैं

जबकि सच्चाई यह है कि किसानों और मजदूरों के सिवा इस देश में प्राइमरी प्रोड्यूस कोई भी पैदा नहीं करता है सब उन्ही के ऊपर किसी ना किसी तरीके से निर्भर हैं बेशक कोई मेरी तराह कागज़ काले करता हो या फिर कुछ भी इधर उधर ऊपर नीचे एंड बैंड सभी का पाइप वहीँ लगी है प्राइमरी प्रोड्यूस में

ये जो ग्रीनहाउस गैसेस वाली कहानी है इसमें सरे आम दुनियाभर के लोचे हैं मैं इस मेस्सेज के साथ साथ एक तस्वीर और भेज रहा हूँ जिसे मैंने फ्लाइट रडार नामक एप्प से रियल टाइम स्क्रीन शॉट लिया है इसमें पता चलता  है कि एक ही समय में कितनी बड़ी संख्या में हवाई जहाज दुनिया के आसमान में मंडरा रहे होते हैं

इंडस्ट्री , सीमेंट का प्लास्टर , वाहन  और हवाई जहाज़ों ने दुनिया कि रेल बना रखी है लेकिन बहाना सिर्फ ग्रीन हाउस गैसेस का लेना है और इन्होने पूरी पब्लिक को कृत्रिम भोजन पर शिफ्ट करके उनका नास बिठाना है    

इस मसले का हल क्या है ?

अपनी रसोई में क्रान्ति करनी पड़ेगी अपनी चौखट के भीतर घर कि देवी अन्नपूर्णा को सोचना पड़ेगा अपने अंदर का जंगली जगा के रखना पडेगा बातें और भी हैं के जल्दी है धीरे धीरे करते रहेंगे

राम जी भली ही करेंगे